Home CRIME NEWS अधिवक्ता संशोधन विधेयक के प्रस्तावित प्रारूप के खिलाफ फूटा अधिवक्ताओं का आक्रोश

अधिवक्ता संशोधन विधेयक के प्रस्तावित प्रारूप के खिलाफ फूटा अधिवक्ताओं का आक्रोश

8
0

हाथों में काली पट्टी बांध सड़कों पर उतरे अधिवक्ताओं ने जताया विरोध

उपजिलाधिकारी को सौंपा प्रधानमंत्री,गृहमंत्री एवं क़ानून मंत्री को सम्बोधित ज्ञापन

रिपोर्ट-इमामी खां

महोबा
जिला अधिवक्ता समिति के बैनर तले इकट्ठा हुए सैकड़ों अधिवक्ताओं ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 के प्रारूप पर आपत्ति दर्ज कराने के उद्देश्य से जोरदार प्रदर्शन करते हुए देश के प्रधानमंत्री,केन्द्रीय गृहमंत्री और कानून मंत्री को संबोधित ज्ञापन उपजिलाधिकारी को सौंप प्रस्तावित कानून को तत्काल वापस लेने एवं अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम लागू करने की मांग उठाई है। अधिवक्ताओं ने शहर की सड़क पर उतरकर हाथों में काली पट्टी बांध जोरदार प्रदर्शन कर प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 को वापस लेने की माँग उठाई है। केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 के विरोध में आपत्ति दर्ज कराने के उद्देश्य से जिला अधिवक्ता समिति के बैनर तले इकट्ठा हुए सैकड़ों अधिवक्ताओं ने कचहरी परिसर से सदर तहसील परिसर तक पैदल मार्च कर प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 के खिलाफ आपत्तियां दर्ज करा हाथों में काली पट्टी बांधकर जोरदार प्रदर्शन किया है। शहर के मुख्य मार्ग से निकले सैकड़ो अधिवक्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन कर केंद्र सरकार से प्रस्तावित अधिनियम को तत्काल वापस लेने एवं अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम को लागू करने की मांग उठाई है। जिला अधिवक्ता समिति के अध्यक्ष रामसहाँय राजपूत के नेतृत्व में इकट्ठा हुए सैकड़ो अधिवक्ताओं ने प्रधानमंत्री,गृहमंत्री और कानून मंत्री को संबोधित ज्ञापन एसडीएम सदर जीतेन्द्र कुमार को सौंप प्रस्तावित कानून को वापस लेने की मांग उठाई है। प्रधानमंत्री को भेजे ज्ञापन में अधिवक्ताओं ने बताया है कि प्रस्तावित संशोधन विधेयक संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार स्वतंत्रता के अधिकार को समाप्त कर रहा है। बताया कि भारत देश की आजादी से अब तक राष्ट्र निर्माण में अधिवक्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका है,समाज के सबसे गरीब कमजोर व्यक्ति को न्याय दिलाने के लिए भी अधिवक्ता समाज हमेशा तैयार रहता है। बताया कि अधिवक्ताओं के बगैर समाज में न्याय की कल्पना संभव ही नहीं है प्रस्तावित संशोधन के द्वारा अधिवक्ताओं की स्वतंत्रता समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। बताया कि प्रस्तावित संशोधन किसी भी रूप में स्वीकार नहीं है,अधिवक्ताओं में इसको लेकर आक्रोश व्याप्त है,प्रस्तावित संशोधन विधेयक प्रत्येक दशा में वापस लेने योग्य है। प्रस्तावित विधेयक के खिलाफ महोबा जिला अधिवक्ता समिति ने आपत्तियां दर्ज कराते हुए कहा है कि धारा 3 ए अधिवक्ताओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर तत्काल वकालत करने से रोकने का प्रयास है एवं प्रस्तावित धारा 35 के द्वारा अधिवक्ताओं की आवाज को दबाने का प्रयास है। अधिवक्ताओं के विरुद्ध झूठी शिकायत के द्वारा उनकी वकालत का अधिकार समाप्त करने और बेवजह जुर्माना लगाने का कानून किसी भी प्रकार से स्वीकार नहीं है। अधिवक्ताओं को किसी भी संस्था द्वारा वेतन नहीं दिया जा रहा है ऐसे में उनके विरुद्ध शिकायत लेकर कार्रवाई करना विधि संगत,न्याय संगत एवं तर्क संगत नहीं है,दर्ज कराई गई तीसरी आपत्ति में बताया है कि धारा 35 ए के द्वारा लोकतांत्रिक अधिकारों को समाप्त करने का प्रयास है, देश की लोकसभा और विधानसभा में भी सदस्य अपनी-अपनी आवाज पुरजोर तरीके से उठाते हैं ऐसे में किसी भी न्यायालय द्वारा या अन्य किसी से प्रकार से अधिकारों पर रोक लगाना बिल्कुल उचित नहीं है।अधिवक्ता संघ और अधिवक्ताओं की आवाज को समाप्त करके निरंकुश तंत्र को बढ़ावा देना अधिवक्ताओं के लिए स्वीकार नहीं है, जो अधिवक्ता स्वयं के अधिकार के लिए आवाज नहीं उठा सकेगा वह समाज में शोषितों और गरीबों के लिए कैसे आवाज उठा सकेगा। चौथी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा गया है कि प्रस्तावित धारा 36 में बगैर जांच अधिवक्ता की विरुद्ध कार्रवाई करने की व्यवस्था से वकीलों के खिलाफ पद के दुरुपयोग की कार्रवाई होगी बगैर जांच लाइसेंस निलंबित करना अन्याय पूर्ण तथा विधि विरुद्ध है। अधिवक्ताओं ने प्रस्तावित विधेयक को तत्काल वापस लेने की मांग की है। इस दौरान सैकड़ो की संख्या में अधिवक्ता मौजूद रहे।