कस्बे के अंतिम छोर पर डाकघर के स्थापित होने से लोग परेशान

रिपोर्ट-मुहम्मद सरफराज़
चरखारी/महोबा
कस्बा के हर मोहल्ला गली एक के एक एक मकान व मकान के मालिकों का पता जिसके पास है अब उसका पता ही ढूंडने में लोगों को पसीना छूट रहा है। यह हाल है चरखारी में स्थापित उपडाकघर की जिसे कस्बा के बीचों से हटाकर अंतिम छोर में तथा सकरी गलियों पर स्थापित किया गया है जो कि वृद्धों महिलाओं की पहुंच से ही बाहर है।
बताते चलें कि कस्बा में संचालित उपडाकघर पहले राजकीय गंगा सिंह इण्टर कालेज के करीब अपने निजी भवन में संचालित रहा और भवन जर्जर होने के बाद करीब में ही किराए के भवन में शुरू किया गया। एक लम्बे समय से एक के बाद एक भवन में स्थनान्तरण होते दशकों बीत जाने के बाद डाकखाना अपने निजी भवन के दस्तावेज ही संजोने में नाकाम रहा जिससे उसका अपना खुद का भवन हाथ से चला गया और डाकघर के संचालन के लिए विभाग किराए के मकानों मे संचालित होता चला आ रहा है। केन्द्र सरकार की संस्था एवं जनता से जुड़ी प्रमुख संस्था की कंगाली के हाल यह है कि मात्र 600 रूपया किराया कम लगने के कारण अधिकारियों ने डाकघर को ऐसी जगह स्थापित किया जहां आमजनमास डाकघर का एड्रेस नहीं ढूंड पा रहा है तथा सकरी गलियों में स्थापित होने के कारण वृद्ध एवं महिलाएं डाकघर नहीं पहुंच पाते हैं। ज्ञातव्य हो कि अभी तक डाकघर मुख्य बाजार सदर बाजार में किराए के भवन में चल रहा था जहां मकान जर्जर होने पर मकान मालिक द्वारा मकान खाली करा लिया गया है। चिर परिचत स्थान स्टेट बैंक के पास ही डाकघर के लिए 3000 रूपया मासिक किराए पर भवन उपलब्ध था लेकिन अधिकारियों ने 600 रूपया बचाने के चक्कर में भवन को कस्बे की ऊंचाई वाले स्थल तथा अंतिम छोर पर स्थापित किया गया है। डाकघर ऐसी संस्था है जहां कस्बा के हो या ग्रामीण क्षेत्र के हर व्यक्ति को आएदिन डाकघर पहुंचना होता है। बच्चों के नए आधार कार्ड बनाए जाने के साथ वृद्धों के आधारकार्ड अपडेट जैसे महत्वपूर्ण कार्य डाकघर में हो रहा है लेकिन वृद्ध डाकघर तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।