अव्यवस्थाओं के बीच दर्शन पूजन करने को मजबूर हुए श्रद्धालु
भक्तों ने नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्माण्डा से लिया अजेय, दीर्घायु,उत्तम स्वास्थ्य का आशीर्वाद
रिपोर्ट- कृष्ण कुमार
कौशांबी-उत्तर प्रदेश
नवरात्रि के चौथे दिन कड़ा धाम में सुबह से ही श्रद्धालु भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी और चौथे दिन मां कुष्मांडा के स्वरूप के दर्शन को भारी संख्या में श्रद्धालु भक्त का धाम पहुंचे पुराणो के अनुसार मां दुर्गा का चौथा भव्य स्वरूप मां कुष्मांडा का माना जाता है किदवंती के अनुसार जब चारों ओर अंधेरा छाया हुआ था तो मां कुष्मांडा ने अपनी मधुर मुस्कान के द्वारा ही संसार की उत्पत्ति की थी इसलिए इनको आदि स्वरूपा और आदि शक्ति देवी भी माना जाता है पर इनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्तों को इनका पूजन बड़े ही विधि विधान से करना परम आवश्यक माना जाता है मान्यता है की मां कुष्मांडा की पूजा करने से भक्तों को अजय रहने का आशीर्वाद मिलता है मां कुष्मांडा कि आठ भुजाएं हैं और उनके हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल पुष्प,कलश चक्र और गदा विराजमान है तथा आठवीं हाथ में सभी सिद्धियां और निधियों को देने वाली माला है मान्यताओं के अनुसार देवी के हाथों में जो अमृत कलश है वह उनके भक्तों को दीर्घायु उत्तम स्वास्थ्य का वरदान प्रदान करता है मां सिंह की सवारी करती है जो धर्म का प्रतीक माना गया है। मां कूष्मांडा की पूजा में कुमकुम मौली, अक्षत, पान के पत्ते, केसर श्रंगार आदि श्रद्धा पूर्वक चढ़ाना चाहिए साथ में सफेद कुम्हड़ा भी अर्पित करना चाहिए।भोग मां कुष्मांडा को हलवा, मालपुए,मीठा दही इस प्रसाद को स्वयं गृहण और साथ में ब्राह्मणों को भी खिलाया जाना चाहिए जिससे मां अत्यंत प्रसन्न होती हैं वही मां कुष्मांडा को लाल रंग अत्यंत प्रिय है इसलिए पूजा में उनका लाल रंग के फूल जैसे गुड़हल, लाल गुलाब आदि अर्पित किया जाता है इससे देवी प्रसन्न होती हैं और भक्तों का अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
