कुलपहाड़/महोबा
नगर में मां गायत्री मंदिर के पास बद्री प्रसाद सोनी के नवीन आवास पर चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा में रसिया बाबा की कृपा पात्र कथा व्यास पंडित श्री कृष्णा जी महाराज ने मनु महाराज की तीन कन्याओं के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि उनकी आकूति देवहूति प्रसूति व दो पुत्र प्रियव्रत उत्तानपाद थे आपने मनु महाराज की द्वितीय पुत्री देवहूति के बारे में कहा कि उनका विवाह कर्दम ऋषि के साथ हुआ कालांतर में इनकी नो कन्याएं सती अनुसुइया आदि हुई एक पुत्र साक्षात नारायण अवतार कपिल रूप में उत्पन्न हुए जिन्होंने अपनी मां देवहूति को नवदा भक्ति कपिल अष्टाध्यायी का उपदेश दिया कपिल भगवान ने बताया कि प्रथम भक्ति क्या है रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है की प्रथम भगति संतान का संगा दूसरि रति मम कथा प्रसंगा इस प्रकार नवदा भक्ति का श्रवण कराया देवहूति माता गंगासागर में जलमग्न होकर प्रवर्तित हो गई इसके साथ ही अपने आकृति व प्रसूति के चरित्र का वर्णन किया भगवान शंकर का राजा दक्ष ने हरिद्वार के समीप कनखल में बृहस्पति स्व यज्ञ किया जिसमें भगवान शंकर को निमंत्रित नहीं किया भगवान शंकर के मना करने पर भी सती माता बिना बुलाए अपने पिता के यज्ञ में चली गई जबकि भगवान शंकर ने सती माता से कहा की आवत हिय हर से नहीं नैनन नहीं सनेह तुलसी तहां ना जाईये चाहे कंचन बरसे मेह लेकिन सती माता नहीं मानी परिणाम स्वरूप अपने पिता के यज्ञ कुंड में जलकर सती हो गई भगवान शंकर ने रोस्ट होकर राजा दक्ष का यज्ञ विध्वंस कर दिया पुनः सती माता ने राजा हिमाचल की यहां जन्म लिया और भगवान शंकर से उनका विवाह हुआ भगवान शंकर के विवाह में श्रोतागण शंकर पार्वती की झांकी में जमकर नाच कर कथा का आनंद लिया कथा में मुख्य यजमान बद्री प्रसाद सोनी उनकी धर्मपत्नी कमला देवी रही कथा में भारी संख्या में भक्तजन पहुंचकर कथा श्रवण कर लाभ उठा रहे हैं।