वार्ड ब्याय के सहारे इमरजेंसी वार्ड संचालित करवा मरीजों की जिन्दगी से खिलवाड़ कर रहे जिम्मेदार
ए.आर.वी. में फार्मासिस्ट की पोस्टिंग लेकिन वार्ड ब्याय के सहारे संचालित हो रही इमरजेंसी और इंजेक्शन कक्ष
वार्ड ब्याय के सहारे इमरजेंसी वार्ड संचालित करवा मरीजों की जिन्दगी से खिलवाड़ कर रहे जिम्मेदार
महोबा
अक्सर बेहतर इलाज के नाम पर अवैध धन उगाही एवं अव्यवस्थाओं को लेकर सुर्खियों में रहने वाला जिला पुरुष अस्पताल जैसे सुर्खियों में रहने का आदी हो चुका है जिला पुरुष अस्पताल में संचालित आकस्मिक चिकित्सा अनुभाग बिना फार्मासिस्ट के वार्ड ब्याय के सहारे संचालित हो रहा है जिला अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही की चलते वार्ड ब्याय के सहारे संचालित हो रहा इमरजेंसी वार्ड मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ करता नजर आ रहा है, इमरजेंसी वार्ड में आएदिन सैकड़ो मरीज गंभीर बीमारियों के चलते इलाज करने के लिए भर्ती होते हैं लेकिन प्रयागराज में आयोजित हो रहे महाकुंभ में ड्यूटी लगने के बाद से इमरजेंसी वार्ड में तैनात रहे फार्मासिस्ट प्रमोद सिंह के स्थान पर दूसरे फार्मासिस्ट की तैनाती नहीं की गई है, बल्कि वार्ड ब्याय के सहारे इमरजेंसी वार्ड को संचालित करवाने का काम किया जा रहा है,जो जिम्मेदारों की लापरवाही को उजागर करता नजर आ रहा है। इमरजेंसी वार्ड में आएदिन बेहतर इलाज के नाम पर अवैध धन उगाही एवं इमरजेंसी वार्ड सहित सभी वार्डों में बाहरियों की धमाचौकड़ी चर्चा का विषय बनी रहती है,लेकिन जिला अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलते बाहरियों एवं अवैध धन उगाही करने वाले लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई जाती जिसके चलते आकस्मिक चिकित्सा अनुभाग अवैध धन उगाही का अड्डा बनता हुआ नजर आ रहा है। कमोवेश यही हाल जिला अस्पताल स्थित ओपीडी के इंजेक्शन कक्ष का है जहां महाकुंभ में ड्यूटी लगने के बाद फार्मासिस्ट अतुल चौरसिया को महाकुंभ के लिए रिलीव कर दिया गया लेकिन उनके स्थान पर कागजों पर तो दूसरे फार्मासिस्ट को तैनात कर दिया गया है लेकिन उक्त फार्मासिस्ट की जगह वार्ड ब्याय की निगरानी में मरीजों को इंजेक्शन लगाए जाते हैं जिसके चलते मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ अस्पताल प्रशासन द्वारा किया जा रहा है। भले ही एआरवी कक्ष वार्ड ब्याय के सहारे संचालित हो सकता है लेकिन यहां फार्मासिस्ट को पोस्टिंग दी गई है. जबकि इमरजेंसी वार्ड एवं इंजेक्शन कक्ष वार्ड ब्याय के भरोसे संचालित करवाए जा रहे हैं, जो जिला अस्पताल प्रबंधन की उदासीनता को उजागर करने के लिए काफी हैं। वैसे तो जिला पुरुष अस्पताल में बाहरियों की धमाचौकड़ी और बेहतर इलाज के नाम पर मरीजों से बाहर की दवाइयां और जांचों के नाम पर आर्थिक शोषण की खबरें आएदिन सामने आती हैं लेकिन मुख्य चिकित्सा अधीक्षक द्वारा इस मामले में आज तक कोई भी ठोस कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई है, जिसके चलते जिला पुरुष अस्पताल में अराजकतत्वों की धमाचौकड़ी बनी रहती है। जिला पुरुष अस्पताल बाहरियों और अराजकत्तवों के लिए सबसे सुरक्षित स्थान के रूप में बनता हुआ नजर आ रहा है।
अन्य लोगों को लगाकर कराई जा रही ड्यूटी : मुख्य चिकित्सा अधीक्षक
महोबा
जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर पवन कुमार अग्रवाल का कहना है कि अतुल चौरसिया एवं प्रमोद सिंह आदि दो फार्मासिस्टों को महाकुंभ में ड्यूटी पर भेजा गया है उनके स्थान पर अन्य लोगों को लगाकर कार्य कराया जा रहा है, अतुल चौरसिया के स्थान पर फार्मासिस्ट अमर सिंह को दवा वितरण कक्ष के साथ-साथ इंजेक्शन कक्ष का चार्ज दिया गया है. इमरजेंसी वार्ड में तैनात रहे प्रमोद सिंह के स्थान पर उनकी टीम में कार्य कर रहे एक अन्य व्यक्ति को चार्ज दिया गया है उसका मुझे नाम याद नहीं हैं सीएमएस कार्यालय में तैनात रीतेश पाण्डेय से बात कर लीजिये उन्होंने ही किसी को लगाया है।
सीएमएस का गैरजिम्मेदाराना बयान खोल रहा लापरवाही की पोल
महोबा
जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर पवन कुमार अग्रवाल द्वारा इमरजेंसी वार्ड में तैनात फार्मासिस्ट का नाम ना बता पाना एवं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय में तैनात संविदा कर्मी से पूछने की बात कहना लापरवाही को उजागर करता नजर आ रहा है जिसके चलते मरीजों की जिंदगी से खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है देखना दिलचस्प होगा कि जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते मरीजों की जिंदगी से हो रहे खिलवाड़ पर क्या कार्रवाई अमल में लाई जाती है।
